का हो भैइया बिना...
ख़त्म हो गये जंगल, ले लिया स्थान इन मकानी जंगलो ने.
अरे महोदय क्या देखोगे अब bedroom के जगलों से.
आती नही जब नौबत इन्हें लगाने की अब बंगलों में.
सोते थे खा के पान हम जगलों से भरे इन आँगनो में.
सजनियाँ खुश होती थी देख सजनों को इन जगलों भरे बंगलो से
पर सजनियाँ देख कैसे पाएंगी अब बिन जगलों के इन सजनों को.
अब जादा का बोली छोड़ा...
हमे तो बस अब फिक्र मास्टर प्लानों की
जो दब गये अदालत की फाइलों में...
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