मित्र-मंडली

Monday 6 February 2012

अब हम हिम्मत ऐ वतन को भुजाओं में बाँध के निकले हैं.


कुछ भी हो हम गोरक्षा कर दिखायेंगे.

 दूध तो हम्मै बहुत पसंद बा, आपका?

 कुछ भी हो हम गोरक्षा  कर दिखायेंगे.
सौगंध है जीना पड़े चाहे 100  या 150  साल
गोरक्षा कर दिखायेंगे.
कुछ भी हो हम गोपालन  कर दिखायेंगे.
और यदि नहीं माने ये क़ानूनी साहबजादे...
तो कोई गम नही.
क्योंकि होंगी बलिदान रोज जितनी गायें  इस भारत माँ की आँचल में
उसी आँचल की कसम गोपालन  कर उतनी ही गायें  रोज पैदा कर दिखायेंगे.
दुश्मनों का सर हम कलम कर दिखायेंगे.
और यदि आई इस शरीर को छोड़ने की नौबत
तो कोई सोच नही...
अपने ही हाथों इस सर को धड से अलग कर दिखायेंगे
कुछ भी हो हम गोरक्षा  कर दिखायेंगे.