लोगों के मुह से कहते हुए सुना है- 'एक दिन तो मरना ही है'। पर यहाँ तो हम हर पल मरते हैं। जब शरीर को पुष्ट करने का समय होता है तब भी हम क्षय की तरफ रहते हैं। और क्षय के समय पुष्टता तो मिल नही सकती क्षय की गति को भले धीमा कर सकें पर होता कहाँ है। जिन्दा रहने का मुख्य कारक भोजन नही अपितु 'आशा' है, और आशा विश्वास पर टिकी है।
हम किसी भी पल किसी पर विश्वास नही करते यहाँ तक की भगवान पर भी स्थाई विश्वास नही है, तो आशा का अस्तित्व डगमगाता है, और जब जीने का कारक ही हर पल कमजोर बना रहता है तो हम हर पल मरते हैं।
(खुद का अनुभव...)
यह एक जरिया महज है आप लोगों तक पहुँचने का, वरना आपलोगों का प्यार तो निरंतर मिलता ही रहता है। आपलोगों का सुझाव, पसंद-नापसन्द से मार्गदर्शन मिलता रहेगा इसकी आशा करता हूँ।
Friday 21 February 2014
हर पल का मरना ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment