मित्र-मंडली

Friday 21 February 2014

हर पल का मरना ।

लोगों के मुह से कहते हुए सुना है- 'एक दिन तो मरना ही है'। पर यहाँ तो ह हर पल मरते हैं। जब शरीर को पुष्ट करने का समय होता है तब भी हम क्षय की तरफ रहते हैं। और क्षय के समय पुष्टता तो मिल नही सकती क्षय की गति को भले धीमा कर सकें पर होता कहाँ है। जिन्दा रहने का मुख्य कारक भोजन नही अपितु 'आशा' है, और आशा  विश्वास पर टिकी है।
हम किसी भी पल किसी पर विश्वास नही करते हाँ तक की भगवान पर भी स्थाई विश्वास नही है, तो आशा का अस्तित्व डगमगाता है, और जब जीने का कारक ही हर पल कमजोर बना रहता है तो हम हर पल मरते हैं।
(खुद का अनुभव...)

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