दरिंदगी की पराकाष्ठ दिल्ली में...
ई दहिजरा के पूतों ने हरमपना करके पूरे देश की जनतन का जीना हराम कर दिया है, सब्जी बेचने वाला ठेला लेके निकलता है तो ओका बाहर निकलते ही आन्दोलन याद आ जाता है.सब आपन काम धंधा छोड़ के नारा लगाने, लाठी और फोब्बारा खाने इण्डिया गेटवा पे पहुंच जा रहे हैं.अरे! ई जालिम हमही सब मेसे आये हैं, सरकरवा समझत कहे नाही.इन ससुरन को हमही लोगन के बीच में छोड़ दे हमसब बहुत समझदार हैं काट-पीट के आपस में बाँट लेंगे.झूठे कसबवा की नाई सम्मय रुपया इन कुत्त्वन पे खरचेंगे. सरकार का हम सबकै खुला चेतावनी बा इन्हेंन का फांसी दा, नहीं तो तुरंत हमसबन के हवाले करा.