यह एक जरिया महज है आप लोगों तक पहुँचने का, वरना आपलोगों का प्यार तो निरंतर मिलता ही रहता है।
आपलोगों का सुझाव, पसंद-नापसन्द से मार्गदर्शन मिलता रहेगा इसकी आशा करता हूँ।
मित्र-मंडली
Thursday 6 December 2012
रिश्ता हमने चलना था सीखा वो उड़ने थी लगी मै दौड़ना था सीखा वो चूमने गगन थी लगी हमने हसना था सीखा वो चहकने थी लगी जाने रिश्ता क्या था जो वो समझने थी लगी .
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