मित्र-मंडली

Sunday 25 November 2012

तरंग 'The Wave'





तरंग यानी 'Wave' जिन चीजों का हम सहजता से अनुभव करने में सक्षम हैं यानी लौकिक जगत की वस्तुएं उनमे से सबसे अत्यधिक तरंगे हमारे मस्तिष्क से निकलती हैं. छड भर में ही अनगिनत विचार धाराएं तरंग की तरह उठ कर प्रभावित हो जाती. उनमे से जो सबसे प्रखर होती है वही हमारे अंगो द्वारा क्रियान्वित हो जाती हैं.

इन तरंगो को केन्द्रियभूत करना ही 'योग' है.

अभी मैं अपने आप से यदि पूछूं की मेरा केंद्र क्या है?
और मै इन तरंगो को किधर केंद्रीयभूत कर रहा हूँ?
तो शायद  उत्तर दे पाना बहुत मुश्किल हो जायेगा. कारण यह है की जो चीजें हम अपने इन्द्रियों से ग्रहण करते हैं, ये तरंगे उसी तरफ आकर्षित हो जाती हैं. जब हम परिवार में होते हैं परिवार को संतुष्ट करने का प्रयत्न करते हैं, तो आदर्ष चरित्र प्रस्तुती, धन अर्जन जैसी आधारभूत चीजों पर ये तरंगे आकर्षित होकर विचार का एक घेरा बना देती हैं और हमारे अंग-प्रत्यंग  इसकी पूर्ती में प्रयत्नरत हो जाते हैं.

और जब यही तरंगे हमारे इन्द्रियों द्वारा किसी अन्यत्र जगह आकर्षित की जाती हैं तो हम उस तरफ मुड़ जाते हैं.

यही कारण है की हमारा किसी के प्रति आकर्षण जिसे हम प्यार का नाम दे बैठते हैं किसी एक के प्रति निश्चित नही है, बल्कि समय और दसा के साथ परिवर्तनीय है.

हमारा लक्ष्य निश्चित नही है, हमारा हमारे द्वारा ही सोचा गया निश्चित नही है तो कोई और हमारा है यह कैसे संभव हो सकता है. लक्ष्य को निश्चित किया भी नही जा सकता है.

क्या 'Steve Jobs' ने मैक बनाते वक्त सोचा रहा होगा की वह i - pod, i - pad या i - फ़ोन भी लंच करेंगे. क्या 'Bill Gates'  ने सोचा रहा होगा की वह Windows-7 या Windows - 8 तक पहुचेंगे? क्या 'Mark Zuckerberg' ने सोचा है की वह फेसबुक के साथ कहाँ तक पहुँच जायेंगे शायद जितना सोचा है उससे भी अधिक हो जाय. कुछ भी हो इनके लक्ष्य ने अपने-अपने क्षेत्र में ऊँचाईयों का परचम लह्ताते गये हैं. जो की जन-मानस के लिए बहुत की लाभकारी रहा है.
जरूरत है ऐसे ही तरंग (Wave) खुद में पैदा करने की और छोटी-छोटी झंझावातों में न पड़कर उन ऊंचाइयों को छूने की उस ऊंचाइयों के नजरानो को देखने की.
                                  बस देते जाओ इस तरंग को एक आयाम ..
                                      ..की सफलता खुद आ के बोले-
                                    ... आ जाओ तुझे बुला रहा है मेरा आवाम.
                                                                                  -Shishu Singh(15/11/2012)