... कल उस माँ की जीवटता देख शक्ति सञ्चालन की एक लहर इन्द्रिय तंतुओं में दौड़ सी गयी।
उस माँ की वो दृढ़ता थी या हठता... पर वो शक्ति की एक मूरत सी थी।
उम्र के चौथे पड़ाव में भी उसकी यह साहस देख ऐसा द्रवित हुआ... कि मन ने भी चेतन और
अवचेतन को मनो यह संदेश दे दिया हो कि माँ आपकी चरणों में नतमस्तक रहूँ सदा...
उस माँ की वो दृढ़ता थी या हठता... पर वो शक्ति की एक मूरत सी थी।
उम्र के चौथे पड़ाव में भी उसकी यह साहस देख ऐसा द्रवित हुआ... कि मन ने भी चेतन और
अवचेतन को मनो यह संदेश दे दिया हो कि माँ आपकी चरणों में नतमस्तक रहूँ सदा...