मित्र-मंडली

Friday 11 January 2013

पूना दर्शन



मेरे ज्येष्ठ भाई श्रीश और प्रभात जी पूना दर्शन हेतु २५ दिसम्बर को यहाँ पधारे हमलोग आपस में बातों के माध्यम से एक दूसरे के मनोरंजन का कारण बने साथ ही साथ सबकी वर्तमान मानस पुष्टता जानने का अवसर प्राप्त हुआ.
इस श्रेणी में मैंने अपना नाम बिलकुल नीचे ही पाया. इस बात से आंतरिक प्रशन्नता हुई की अभी मेरे पास सीखने का वक़्त है. 
भाइयों द्वारा सुझाव भी प्राप्त हुआ जो एक सदमार्गदर्शन का रूप लेगा ऐसा आशा करता हूँ, भाई प्रभात द्वारा भेंट स्वरुप गाँधी जी का जीवनी प्राप्त हुआ. पढ़कर गांधी जी को नजदीक से जानने का मौका मिला उनके बारे में और भी जानने की उत्कट जिज्ञासा भी हो रही है. भाई प्रभात की हाजिर जवाबी और लोगो के साथ आत्मीयता बनाने की अद्भुत कला ने कई विषम परिश्थितियों को भी दिल्लगीपूर्ण बना दिया.
भाई मयंक का आशावादी व्यक्तित्व हम सबपर आशावाद का अच्छा रंग चडाया, डब्लू (दिलीप) भैयाके उन्मुक्त विचारो ने वर्तमान जीवन शैली में रहने योग्य शिक्षा का बोध कराया, जिस कारण ये पूरी भ्रमण के दौरान केंद्र बिंदु रहे.
भ्राता श्रीश के योजनाबद्ध तरीके के चलते हमे यात्रा के मूल और नए आयामों से देखने का अवसर प्राप्त हुआ. साथ ही साथ उनके कई योजनाओ में योगदान न दे पाने का खेद भी रहा.  
पूरे तरीके से यात्रा यादगार रही, अपलोगो ने मिलकर ऐसे बसंती वातावरण का समावेश मेरे अन्दर किया है जिसके लिए 'आभार' शब्द छोटा पड़ रहा है.

आपका अनुज.
शिशू

No comments:

Post a Comment