जानना कभी पाना नही होता, जानने और पाने में कांच और हीरे जितना अंतर है, आज जितने भी धार्मिक प्रवचनकर्ता हम देखते हैं, ये जानने को ही पाना समझ बैठे हैं, इसीलिए बड़ी-बड़ी बातें बघारते मिलते (दिखते) हैं।
यह स्थिति बड़ी ही भ्रामक है, अतएव किसी प्रवचनकर्ता पर विश्वास करने से अच्छा खुद के सामर्थ्य से शास्त्रों का अध्ययन किया जाय, और सामर्थ्य पैदा करने के लिए शास्त्रानुसार ही कर्म करने का प्रयास करना चाहिए।
कुछ ब्रह्म ज्ञानियों द्वारा सुझाये गए शास्त्र निम्न हैं-
१. अध्यात्म रामायण
२. श्रीमद्भगवद्गीता
३. योगवाशिष्ठ
No comments:
Post a Comment